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कविता

जो रास्ता भूलेगा

चंद्रकांत देवताले


मैं सुन रहा हूँ
किसी के पास आने की आहट

मेरी देह बता रही है
कोई मुझे देख रहा है

जो रास्ता भूलेगा
मैं उसे भटकावों वाले रास्ते ले जाऊँगा

जो रास्ता नहीं भूलते
उनमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं

 


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हिंदी समय में चंद्रकांत देवताले की रचनाएँ